बदायूं। श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य त्रिलोक कृष्ण मुरारी ने आत्म देव की कथा का वर्णन कर भागवत कथा की महिमा का बखान कर ब्राह्मण शब्द की व्याख्या की। कथा सुनने के लिए तमाम भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
शहर के पुरानी चुंगी बरेली रोड स्थित दुर्गा मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक आचार्य त्रिलोक कृष्ण मुरारी ने कहा कि अपने माता.पिता को कष्ट देने वाला व शराब पीने वाला एवं वेश्यागामी आदि पुरुष प्रेतयोनी प्राप्त कर अनंतकाल तक भटकते रहते हैं। अब न हो गोकर्ण की तरह कथा सुनाने वाले हैं और न सुनने वाले। धुंधकारी को उसके पापों की सजा तो मिली ही साथ ही उसने प्रेतयोनी में रहकर भी सजा भुगती। बाद में जब उसे पछतावा हुआ तो भागवत कथा सुनकर मन निर्मल हो गया। निर्मल मन होने से उसके सारे संताप जाते रहे। श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन निखिल गुप्ता, मीरा शर्मा, लालू कश्यप, नौरंगी लाल कश्यप, आनंद कश्यप, हिमांशु कश्यप, योगेंद्र सागर, पंडित वैभव शर्मा, नितिन कश्यप, श्रुति कश्यप, राघवेंद्र पांडेय, रामकुमार शर्मा, वसंत पटवा, पुनीत कश्यप, राजाराम कश्यप, प्रदीप कश्यप मुख्य रूप से सेवादार के रूप में मौजूद रहे।