बदायूं। बदायूं क्लब में मातृ शक्ति सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें नगर के अभिभावक माताओं ने सहभाग किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डा. दीप्ती भारद्वाज एवं वक्ता के रूप में शिवम्बदा ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम में संयोजक सीमा रानी सहित कई ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालिका सीमा चौहान, कमलेश, जिला समन्वयिका किरण सिंह, सपना सिंह ने किया।
भारत को पुन: विश्वगुरू बनाएं
मुख्य वक्ता डा. दीप्ति भारद्वाज ने कहा बालिका शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्ता पर बल दिया एवं वर्तमान समय में बालक-बालिकाओं में संस्कारों की कमी पर चिंता प्रकट की। कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में इस देश के महान वीरों ने किस प्रकार विपरीत परिस्थितियों में भी अपने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। हम सबका यह कर्तव्य है कि हम अपने वीरों के बलिदान को व्यर्थ न जाने दें और अपने निरंतर प्रयासों से भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करें। नारी के अंदर अपार शक्ति है आए दिन हमें नारी सशक्तिकरण उदारण देखने मिले हैं। महिला हर क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रही हैं, यहां तक कि देश की सुरक्षा में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। हमें ऐसी महिलाओं से प्रेरणा लेकर आगे बढना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाते हैं। शिशु मंदिर में पढ़ने वाले छात्र कभी संस्कार नहीं भूलते आधारभूत विषयों जोर देने की बात कही, शिक्षा नीति सरल होना चाहिए खेल-खेल में पढ़ाना चाहिए।
बच्चों को संस्कारवान शिक्षा जरूरी
वक्ता शिवबंदा ने कहा कि छात्राओं को केवल शिक्षा नहीं वरन संस्कारवान शिक्षा देना नितांत आवश्यक है। उन्होंने माताओं से आवाहन किया कि यदि आप निश्चय कर लें तो निश्चित रूप से शिवाजी, लक्ष्मीबाई के समान संतानों का निर्माण कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के 75वें वर्ष का यह अमृत महोत्सव हम सबको प्रेरणा है कि हम स्वाधीनता संग्राम अपने नायकों प्रति श्रद्धा सुमन समर्पित कर उनके स्वपनों के भारत के निर्माण के लिए संघर्ष करें।
बच्चों के सर्वांगीण विकास में मां का विशेष योगदान
कार्यक्रम अध्यक्ष डा. गार्गी बुलबुल ने कहा विद्यालय सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। घर पर माताएं अपने बच्चों के पठन पाठन पर ध्यान दें इससे बच्चों का उत्तरोत्तर विकास होगा। उन्होंने कहा कि मां बच्चे की प्रथम शिक्षिका होती है माता के दिए गए संस्कार बच्चों के जीवन को बेहतर बनाते हैं ऐसे में बच्चों के सर्वांगीण विकास में मां का विशेष योगदान होता है।
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