नया बदायूं

एड्स पीड़िता प्रसूता डिलीवरी को रातभर तड़पी, मौत

बदायूं। जिला महिला अस्पताल में मंगलवार की रात को मानवता को तार-तार करने वाली घटना हुई है। एचआइवी पीड़िता प्रसूता अस्पताल की इमरजेंसी में रातभर तड़पती रही लेकिन डिलीवरी करने को किसी ने हाथ नहीं लगाया। डाक्टर इमरजेंसी ड्यूटी से गायब रहे और स्टाफ ने एड्स का नाम सुनकर हाथ नहीं लगाया। आखिरकार स्वयं डिलीवरी हुई और अस्पताल गेट पर जाकर प्रसूता की मौत हो गई।
जिला महिला अस्पताल बदायूं।
मंगलवार की रात को करीब साढ़े बारह बजे वजीरगंज क्षेत्र की एचआइवी पीड़ित प्रसूता को लेकर परिजन डिलीवरी के लिए जिला महिला अस्पताल पहुंचे। प्रसव के लिए पीड़िता इमरजेंसी पहुंची और स्टाफ ने जांच रिपोर्ट देखीं तो एड्स बताकर दुत्कार दिया। कहा कि रात के समय डिलीवरी नहीं हो सकती यहां से रेफर कराकर ले जाएं। परिवार जिदद कर गया की यहां से कहां ले जाएं तो स्टाफ ने भर्ती कर लिया। मगर डिलीवरी के लिए स्टाफ ने हाथ नहीं लगाया। स्टाफ ने फोन पर डाक्टर से पूछा तो उन्होंने रेफर करने की सलाह दी। पूरी रात डाक्टर इमरजेंसी में नहीं रहीं और सुबह डिलीवरी स्वयं होने पर महिला गंभीर हुई तो आठ बजने से पहले रेफर कर दिया। पीड़िता अस्पताल गेट पर पहुंची और मौत हो गई। पीड़िता के पिता ने लापरवाह डाक्टर स्टाफ पर कार्रवाई की बात कही है।

डाक्टर-स्टाफ की लापरवाही कैमरे में कैद

जिला महिला अस्पताल में एचआईवी पीड़िता के साथ जिस तरह की लापरवाही की गई है वह मानवीय व्यवहार के लिए ठीक नहीं है। यही लापरवाही एचआईवी पीड़िता की जान चली गई। सीएमएस और डाक्टर से लेकर स्टाफ इस लापरवाही को मानने के लिए तैयार नहीं है। मगर इसकी पोल सीसीटीवी कैमरा खोल रहे हैं। रात्रि ड्यूटी को डा. नाजिया किस समय आती हैं और कितनी जल्दी चली जाती है। वहीं पीड़िता को परिवार को किस समय लाता है यह गेट कैमरा सच खोलेगा। वहीं पीड़िता की स्वयं एक कमरे में डिलीवरी हुई तो वहां की गंदगी को उसकी सास ने कैसे संभाला यह भी सीसीटीवी कैमरा खोलेगा। क्योंकि स्टाफ ने हाथ भी नहीं लगाया।
ब्लीडिंग नहीं रूकने से हुई मौत
सुबह छह बजे एचआईवी पीड़िता प्रसूता की स्वयं एक कमरे में डिलीवरी हो गई। डाक्टर मौके पर नहीं रहीं और स्टाफ ने एड्स बताकर हाथ नहीं लगाया। प्रसूता के पति का कहना है एड्स बताकर स्टाफ ने डिलीवरी के बाद कोई इंजेक्शन नहीं लगाया और कोई उपचार नहीं दिया। छह बजे से आठ बजे तक ब्लीडिंग होती रही। आठ बजे डा. नाजिया की ड्यूटी खत्म हो रही थी तो उन्होंने स्टाफ से फोन पर तत्काल रेफर करा दिया।

एचआईवी पीड़ित की ऐसे हो डिलीवरी

एड्स कार्यक्रम के काउंसलर की बात मानें तो एचआईवी पीड़ित महिला आती है तो उसकी अलग गाइड लाइन के अनुसार डिलीवरी होती है। इमरजेंसी में यूनिवर्सल किट रहती है। जिसमें डाक्टर-स्टाफ के पहनने का सामान रहता है यूनिवर्स प्रकोशन के साथ डिलीवरी की जाती है। मगर ऐसा नहीं किया, डिलीवरी की पूरी प्रक्रिया उसकी सास से बिना गिलब्ज के कराई गई।
क्या कहती हैं सीएमएस
जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा. पुष्पा पंत कहती हैं कि डिलीवरी को एचआइवी पीड़िता आई थी जानकारी सुबह मिली तो डाक्टर नाजिया से बात की है उन्होंने कहा कि महिला की हालत गंभीर थी इसीलिए सुबह रेफर की थी। मेडिकल कालेज में जाकर महिला की मौत हुई है। बाकी जांच कराते हैं लापरवाहों पर कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहते हैं डीएम
डीएम मनोज कुमार का कहना है कि इतनी बड़ी घटना हुई किसी ने उन्हें जानकारी तक नहीं दी।  उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर जांच बिठाते हैं। बोले किसी प्रसूता के साथ ऐसा व्यवहार घोर निंदनीय है। लापरवाहों को कार्रवाई में बख्शा नहीं जाएगा।
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