लखनऊ संवाददाता। उत्तर प्रदेश का बदायूं संगीत और साहित्य के लिए देश और दुनिया में पहचान रहा है। शकील बदायूं और डाण् उर्मिलेश शंखधार की धरती पर संगीत और साहित्य के अलावा खेल की दुनिया में रूचि लेने वाला शहजाद जन्मा और उसका बचपान छोटे शहर की गलियों में गुजरा और पढ़ाई लिखाई के बाद बड़ा हुआ। क्रिकेट से लगाव हुआ और देश व प्रदेश के साथ बदायूं का नाम रोशन कर रहा है। अब क्रिकेट में भी यहां का लाल साउथ अफ्रीका में सात मार्च से होने वाले वर्ल्डकप में अपनी बल्लेबाजी का हुनर दिखाएगा। यह खबर बदायूं पहुंची तो जिलेभर के क्रिकेट प्रेमियों समेत आम से लेकर खास तबके के लोगों में खुशी का माहौल है। बदायूं के सभी लोग अपने आप को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं।
बदायूं शहर के मोहल्ला सोथा निवासी शहजाद अहमद क्रिकेट की दुनियां में आज बदायूं और उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे भारत का नाम रोशन कर रहा है। शहजाद बदायूं क्रिकेट टीम के कप्तान जहीर फराह खान के छोटे भाई हैं। पेशे से इंजीनियर शहजाद यूएई ;यूनाइटेड स्टेट आफ अमीरातद्ध के अबु धाबी में तकरीबन 15 साल से रह रहे हैं। भाई जहीर फराह ने बताया कि बचपन से ही शहजाद को क्रिकेट खेलने का काफी शौक थाए उम्र बढ़ने के साथ जिम्मेदारियां कंधों पर आईं तो उनका निर्वाहन बखूबी किया। इसी खातिर यूएई तक गए लेकिन जिंदगी के झंझावतों के बीच उन्होंने अपने शौक को भी जिंदा रखा। लगातार प्रैक्टिस करते रहे और वहां समय.समय पर होने वाले क्रिकेट टूर्नामेंट आदि आयोजनों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते रहे।
वर्ल्डकप खेलेंगे शहजाद
बदायूं का शहजाद सात मार्च से साउथ अफ्रीका में होने वाले 14 देशों के वर्ल्डकप में बल्लेबाजी का जौहर दिखाने उतरेंगे। यहां 40 आयुवर्ग से अधिक के खिलाड़ियों की सूची में उनका नाम है। फिलहाल वह अपनी टीम के साथ इस वर्ल्ड कप की तैयारियों में जुटे हैं और लगातार प्रैक्टिस कर रहे हैं।
संगीत और साहित्य से बनी पहचान
बदायूं जैसा छोटा और पिछड़ेपन वाले जिले की पहचान बहुत बड़ी है। बदायूं में जन्म लेने वाले शकील बदायूं के तराने बालीबुड़ में एक अलग पहचान दे गए। संगीत की दुनिया में उन्होंने विदेशों तक बदायूं को पहचान दिलाई। वहीं राष्ट्रीय गीतकार उर्मिलेश शंखधार के गीत अभी भी लोग गुनगुनाते दिखते हैं। कवि विजेंद्र अवस्थी ने बदायूं को एक अलग पहचान दिलाई।
सात.सात मिल चुके हैं पदमभूषण
बदायूं संगीत और साहित्य के लिए अलग पहचान रखता है। बदायूं को पदमभूषण भी मिले हैं। सहसवान के एक ही घराने के सात संगीतकारों को अलग.अलग सात पदमभूषण मिल चुके हैं। उस परिवार ने बदायूं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।