बदायूं। पौष के बाद माघ महीना शुरू हो गया है कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। इस कड़ाके की सर्दी के मौसम गांव देहात में किसान परेशान है। छुट्टा पशुओं से फसलें बचाने के लिए किसान पूरी रातें खेतों में गुजार रहे हैं। इसके बाद भी फसलें बचाना मुश्किल है वहीं गोवंश भी परेशान हैं एक तो सर्दी से परेशान हैं ऊपर से चारा खाने को परेशान हैं। ग्रामीण अब आक्रोशित हो चुके हैं गांव.गांव पशुओं की घेराबंदी करके विद्यालयों में बंद कर रहे हैं। सरकार के लाखों रुपये खर्च होने के बाद गोशाला तो गायब हो चुकी हैं लेकिन गांव.गांव ग्रामीणों ने अब ट्रेड बना लिया है कि छुट्टा पशुओं को विद्यालयों में बंद कर रहे हैं। विद्यालय के मंदिरों को एक तरह से पशुशाला बना दिया है। ऐसे विद्यालय कैसे चल पाएंगे और विद्यालय की व्यवस्थाएं कैसे बन पाएंगी। इस तरह के सवाल करने वाले और परेशानी झेलने वाले तो तमाम हैं लेकिन जिम्मेदार अफसर कहां हैं वह नजर नहीं आ रहे हैं। हर किसी का जिम्मेदार अफसरों से सवाल है।
फसलें बचाने के लिए विद्यालय में बंद किए पशु
जगत ब्लाक का गांव गिधौल में भी ग्रामीण छुट्टा गोवंश को लेकर काफी परेशान हैं। किसानों की फसलें छुट्टा पशु खा रहे हैं। ग्रामीणों ने शनिवार को योजना बनाई और पूरा गांव एक साथ हो गया। इसके बाद गांव वाले लोग एक साथ पशुओं को घेराबंदी करके ले आए। ग्रामीणों ने पशुओं को घेराबंदी करके प्राथमिक विद्यालयों पर बंद कर दिए। जिसको लेकर दिन भर गांव में हंगामा चलते रहे हैं।
ग्रामीणों ने दौड़ाकर विद्यालय में बंद किए पशु
शनिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर ब्लाक म्याऊं क्षेत्र के ग्राम अभिगाव का वायरल हो रहा है। जहां सैकड़ों की संख्या में छुट्टा गोवंश से परेशान ग्रामीण एकत्र हो गए। ग्रामीणों ने घेराबंदी करके पशुओं को गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में बंद कर दिए। बताया जा रहा है कि गांव में करीब 150 पशु बंद किए गए हैं। यहां ग्रामीणों ने सचिव के खिलाफ भी आक्रोश जताया है कि गांव में गोशाला संचालित नहीं कराई गई है।
क्या कहते हैं अधिकारी
पशुपालन विभाग के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाण् नरवीर सिंह का कहना है कि जिले में छुट्टा गोवंश ज्यादा नहीं करीब पांच हजार हैं। इनको पकड़कर रखने के लिए प्रयास चल रहा है। ब्लाकों से सहयोग मांगा गया है, जल्दी ही गोशालाओं में रखा जाएगा। मगर किसानों की समस्या पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
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