नया बदायूं

लकी जाफरी की जमानत याचिका खारिज, नहीं चला अस्वस्थ होने का बहाना

कोर्ट।

ब्योरो कार्यालय, लखनऊ। उत्तर प्रदेश का बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपित इशरत हुसैन उर्फ लकी जाफरी अपने ही बुने जाल में फंस गए हैं। जिन तथ्यों के आधार पर उन्होंने अग्रिम जमानत मांगी थी उसे 18 मई को अदालत ने खारिज कर दिया।
लकी जाफरी ने जमानत के लिए खराब सेहत व ईडी के आरोपों को फर्जी बताया था लेकिन अदालत में ईडी ने तर्क दिया कि लकी जाफरी को सात बार पूछताछ के लिए सम्मन भेजा जा चुका है, लेकिन वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। जमानत दी गई तो उनके फरार होने की पूरी संभावना है। वहीं जांच में ईडी को असम, मध्यप्रदेश व नेपाल में कई आरोपितों की सैकड़ों करोड़ की संपत्तियों के बारे में जानकारी मिली है। ईडी ने फरवरी में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शुरू की थी।
26 अप्रैल को हुए थे गिरफ्तार
26 अप्रैल को ईडी ने हाइजिया शैक्षणिक संस्थान समूह के संचालक अली अब्बास जाफरी व इजहार हुसैन जाफरी तथा उनके कर्मचारी रवि प्रकाश गुप्ता को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद पता चला था कि इन लोगों ने तीन हजार से ज्यादा बिना पात्र विद्यार्थियों के फर्जी दाखिले करवाए और उनके बैंकों में खाते खुलवाकर छात्रवृत्ति की धनराशि हड़प ली गई। बीते गुरुवार को अदालत में लकी जाफरी की तरफ से अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई के दौरान उनकी तरफ से तर्क दिया गया कि उनके घर व शैक्षणिक संस्थान पर ईडी दो बार जांच कर चुकी है। ईडी को जांच में कुछ नहीं मिला है। ईडी फर्जी आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है।
ईडी ने किया फर्जीवाड़ा का खुलासा
छात्रवृत्ति के खाते आधार से लिंक हैं उसकी सारी रिपोर्ट एनआईसी को जाती है। उसके साथ संस्थान या उनका कोई लेना नहीं है। जो सिम कार्ड ईडी ने बरामद किए हैं वह सीलबंद थे। उन्हें विद्यार्थियों को देने के लिए खरीदा गया था। जिन घरों में वह रह रहा है वह किराए के घर हैं। उनका स्वामित्व उसके पास नहीं है। वह किडनी, लीवर व ब्रेन की बीमारी से ग्रसित है। इलाज चल रहा है। इसलिए उसे अग्रिम जमानत दी जाए।
अदालत में ईडी ने दिया तर्क
ईडी ने अदालत में तर्क दिए कि लखनऊ व आसपास स्थित लकी जाफरी के शैक्षणिक संस्थानों व उनके कर्मचारियों तथा एजेंटों द्वारा घोटाले को अंजाम दिया गया है। लकी जाफरी इन संस्थानों का चेयरमैन है। सभी प्रबंधकीय कामों पर उसका नियंत्रण था। छापेमारी के दौरान लकी जाफरी के ठिकानों से हजारों की संख्या में सिम कार्ड के अलावा हजारों चेक बुक, डेबिट कार्ड तथा विभिन्न संस्थानों की 200 से ज्यादा स्टांप सील मिली हैं। सात बार पूछताछ के लिए बुलााया जा चुका है, लेकिन वह नहीं आया। अगर जमानत दी जाती है तो वह फरार हो जाएगा। इसके बाद अदालत ने लकी जाफरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
अधिकारियों से पूछताछ को बुलाया
अल्पसंख्यक व दिव्यांग विभाग के अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया ईडी ने घोटाले की जांच के लिए अल्पसंख्यक व दिव्यांग विभाग के अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया है। इससे पहले पिछड़ा वर्ग विभाग से ईडी ने दस्तावेज मांगे थे। ईडी को विद्यार्थियों ने बयान दर्ज करवाए हैं कि घोटाले की शिकायत दोनों विभागों से पहले ही की थी, लेकिन उनका संज्ञान नहीं लिया गया। ईडी ने तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी पूछताछ शुरू कर दी है।
गोरखधंधा में शामिल कई
ईडी तकनीकी शिक्षा विभाग से इस बात की जानकारी जुटा रही है कि वेबसाइट पर कालेजों को खोलने की मंजूरी कैसे और किस स्तर पर दी गई थी। दो ऐसे कालेजों का पता चला है जिनकी कोई इमारत नहीं है, छात्रवृत्ति हड़पने के गोरखधंधे में हाइजिया समूह द्वारा कागजों पर संचालित इन कॉलेजों की भी अहम भूमिका थी।
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