बदायूं। जिस तेंदुआ के शव को वन विभाग बिल्ली वन बिल्ली बताता रहा वह आईवीआरआई की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तेंदुआ ही निकला है।उझानी इलाके में मिले तेंदुआ की मौत सिर में चोट लगने के कारण हुई थी। उसके शरीर पर एनिमल इटिंग के निशान भी मिले हैं। इससे साफ है किसी न किसी जानवर या किसी प्रकार से हमला हुआ है और घायल हुआ। जिसके बाद तेंदुआ के शरीर में गलन हुई और फिर मौत हो गई। आईवीआरआई की मानें तो पोस्टमार्टम में तेंदुआ निकला है और वन विभाग बदायूं को रिपोर्ट भी जारी कर दी है लेकिन स्थानीय वन विभाग अपनी फजीहत को बचाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट को दबाए हुए है। अधिकारी बोल रहे हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
जनपद के थाना कोतवाली उझानी क्षेत्र के गांव बुटला गांव के जंगल में 22 जनवरी को तेंदुआ का शव मिला तो गांव वालों समेत आसपास इलाके में दहशत का माहौल कायम हो गया। लोग चौंक गए और सवाल करने लगे कि तेंदुआ यहां कैसे पहुंचा और उसके साथ क्या हुआ। इन सवालों के जवाब पोस्टमार्टम में भी स्पष्ट नहीं हो सके हैं। क्योंकि जब तक शव पोस्टमार्टम को भेजा गयाए काफी हद तक सड़ चुका था। हालांकि जानकारी होने पर 22 जनवरी को वन विभाग के अफसर मौके पर पहुंचे मगर वन विभाग के अफसरों ने एक नया खेल और रच दिया। उस दिन मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने दावा कर डाला कि यह तेंदुआ नहीं बल्कि जंगली बिल्ली है। मामला तूल पकड़ा तो अफसरों ने आनन.फानन में शव पोस्टमार्टम को आईवीआरआई बरेली भेज दिया गया। वहां उसकी हेड इंजरी से मौत की पुष्टि हुई है। शरीर सड़ गया थाए ऐसे में उसकी सेल्स ;कोशिकाएंद्ध खराब हो गईं इसलिए उसकी उम्र का पता नहीं लग सका। मगर फिर भी तमाम सवालों के जबाव साफ हो गए। फिलहाल आईवीआरआई की रिपोर्ट के बाद भी वन विभाग पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रहा है। क्योंकि उसमें तेंदुआ होने की बात सामने आने पर बिल्ली बताने वाले वन विभाग की फजीहत होगी।
आईवीआरआई में कटी थी तेंदुआ की रसीद
बदायूं वन विभाग के डिप्टी रेंजर रवींद्र विष्ट के मुताबिक आईवीआरआई में शव देखा गया तो वहां की पोस्टमार्टम शुल्क की रसीद तेंदुआ की ही कटवाई गई। हर शव के पोस्टमार्टम का सरकारी शुल्क वहां अलग होता है। ऐसे में तेंदुआ का जो शुल्क थाए उतने रुपये जमा कराए गए थे।
गंगा के रास्ते तो नहीं आ रहे तेंदुआ
जनपद के कछला इलाके के दूर.दूर तक जंगल में तेंदुआ मिलते हैं। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक तेंदुआ यहां नहीं पाए जाते। यहां का वातावरण उनके मुताबिक नहीं है। इसके बाद भी बार.बार तेंदुआ मिलते हैं तो कहां से आ रहे हैं। कयास लगाये जाते हैं कि यह तेंदुआ गंगा के रास्ते कछला इलाके में प्रवेश करते हैं। कछलाए उझानीए कादरचौक और मुजरिया तथा सहसवान तक कई जंगल पड़ते हैं। बतादें कि साल 2016 में भी यहां मुजरिया इलाके में तेंदुआ मिला था। जबकि साल 2020 में सहसवान के जंगलों में तेंदुआ मारा गया था। इधरए इस बार ये तेंदुआ उझानी इलाके में मिला है। खासियत यह है कि तीनों इलाके गंगा से सटे हुए हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
डिप्टी रेजर रविंद्र कुमार विष्ट का कहना है कि शव आईवीआरआई को भेजा था पोस्टमार्टम वहां हुआ है लेकिन अभी रिपोर्ट हमारे पास नहीं आई है। रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा लेकिन हमारे पास तक तो आ जाए। हमें भी रिपोर्ट का इंतजार है।
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