नया बदायूं

गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए टीला की खुदाई पर प्रशासन ने लगाई रोक, पुरात्व विभाग को लिखा पत्र

गंगा एक्सप्रेस-वे कार्य में मिली मूर्तियां देखते बिल्सी एसडीएम।

बदायूं। यूपी का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे गंगा एक्सप्रेस-वे बदायूं से होकर निकल रहा है। बदायूं व दातागंज और बिसौली के अलावा बिल्सी तहसील के गांव से होकर निकल रहा है। गंगा एक्सप्रेस.वे के लिए कार्य चल रहा है बिल्सी के कोट गांव में खुदाई के दौरान टीला में मूर्तियां एवं चांदी.तांबा के सिक्का निकल रहे हैं। पिछले दो दिन की खुदाई के दौरान कई मूर्तियां मिल चुकी हैं। जिसके बाद से प्रशासन हरकत में आ गया है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार सातवाहन वंश के राजा सातवाहन का किला बताया जाता है। जिला प्रशासन ने ग्रामीणों की जानकारी करने के बाद तहसील प्रशासन की रिपोर्ट ली। इसके बाद उस खेत की खुदाई पर रोक लगा दी है।

गंगा एक्सप्रेस-वे कार्य में मिली मूर्तियां।

खुदाई रोकते हुए पुरातत्व विभाग को लिखा पत्र
बिल्सी एसडीएम महिपाल सिंह ने डीएम मनोज कुमार को मूर्तियों के मामले में रिपोर्ट सौंपी है। इसके बाद डीएम की ओर से पत्र पुरातत्व विभाग को लिखा है। इधर एसडीएम महिपाल सिंह ने गांव कोट जाकर निरीक्षण भी किया है। एसडीएम के अनुसार जिस खेत के टीला में मूर्तियां निकल रही हैं वह किसान का निजी खेत है खेत गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहण तो नहीं हुआ है लेकिन कार्यदायी संस्था ने मिट्टी व सामान डंपिग के लिए किराया पर ले लिया है। अब यहां मूर्तियां निकल रही हैं इसलिए पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा है, बताया जाता है कि यहां कभी किसी राजा का किला रहा है। उन्होंने बताया कि इससे गंगा एक्सप्रेस-वे का कोई कार्य प्रभावित नहीं है नहीं रोक लगाई है। केवल उसी खेत की खोदाई पर अब रोक लगाई गई है।

राष्ट्रीय प्रजापति महासभा के प्रदेश अध्यक्ष की मांग पर लगी रोक
बिल्सी तहसील के कोट गांव में एक टीले की खुदाई चल रही थी जिसमें बहुत पुरानी मूर्तियां तथा अन्य मिट्टी के बर्तन प्राप्त हुए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह किला राजा शालिवाहन कुम्हार का बताया जाता है। इसकी सूचना प्रजापति समाज के राष्ट्रीय प्रजापति महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डाण् राकेश प्रजापति को मिलीए तो उन्होंने एसडीएम बिल्सी और डीएम से दूरभाष पर वार्तालाप की तथा खुदाई को रुकवाने की मांग की। इसके बाद खोदाई को रोकवा दिया गया है।

किला की यह है संस्कृति
लोगों का कहना है कि प्राचीन इतिहास के अनुसार दक्षिण भारत में सातवाहन वंश का शासन हुआ करता था। जिसकी स्थापना राजा शिभुक ने की थी आगे चलकर शालीवाहन कुम्हार भारत के राजा बने थे। जो सातवाहन वंश के सबसे प्रतापी राजा थे उनकी मां गौतमी प्रजापति थी शालीवाहन को विक्रमादित्य के पोते के रूप में भी जाना जाता है। शालिवाहन ने कई मुगल शासकों को और कई देश के राजाओं को हराया था और उनका प्रताप दक्षिण से लेकर उत्तर तक था। बताया जाता है कि आज भी प्रजापति समाज के तेलंगाना राज्य के निवासी अपने नाम के आगे शालीवाहन शब्द का प्रयोग करते हैं।

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