बदायूं। नया वर्ष 2023 में नगर पालिका में नए चेयरमैन की ताजपोशी हो जाएगी। बहुत उम्मीद जगी थीए लेकिन चुनाव से पहले शहर के सीमा विस्तार का सपना अधूरा रह गया। सांसदए विधायक और चेयरमैन भाजपा की फिर भी शासन से सीमा विस्तार को मंजूरी नहीं दिला पाए। सीमा विस्तार को लेकर नेताओं ने जनता का सपना जरूर तोड़ दियाए लेकिन सवाल बरकरार है।
शहर की जनता को नगर पालिका और भाजपा सरकार ने एक ही सपना दिखाया कि बदायूं शहर को नगर निगम बनाएंगे या फिर सीमा विस्तार करेंगे। प्रस्ताव पत्र दिखाते.दिखाते पांच वर्ष गुजर गए अब वही नेता आश्वासन पर आ गए हैं कि निकाय चुनाव बाद अगले कार्यकाल में शहर का सीमा विस्तार कराएंगे। पिछले चुनावी दौर में विधायक और चेयरमैन से जनता ने शहर को नगर निगम व सीमा विस्तार की मांग की थी। वर्ष 2018 और 2019 में प्रयास किया। पहली बार नगर निगम का प्रस्ताव गयाए जो चंद महीने में तमाम प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद शासन से खारिज कर दिया इसलिए केबिनेट में नहीं गया। दूसरा प्रस्ताव वर्ष 2020 में नगर पालिका सीमा विस्तार को लेकर गयाए अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों की जल्दबाजी में स्थानीय निकाय बोर्ड की बैठक में बिना पास कराए भेज दिया इसलिए शासन स्तर पर खारिज कर दिया। तीसरा प्रस्ताव वर्ष 2022 में भेज गया जो डीएम की संसुति के बाद कमिश्नर तक पहुंचा और आगे की प्रक्रिया जनप्रतिनिधियों ने भगवान भरोसे छोड़ दी। वर्तमान में प्रशासन के अफसर और जनप्रतिनिधियों को यह जानकारी नहीं है प्रस्ताव कहां और किस स्थिति में है। बरहाल अगर इन पांच वर्ष में शहर नगर पालिका नगर निगम हो जाती तो विकास की एक अलग ही तस्वीर खिंचती दिखाई देती। इसके अलावा अगर सीमा विस्तार भी हो जाता तो नगर पालिका का बजट ठीक दो से ढ़ाई गुना बढ़ जाता और शहर का काफी विकास बढ़ जाता। शहर के साथ.साथ आसपास के गांव का भी विकास हो जाता। मगर यह पांच वर्ष सिर्फ सपना बनकर गुजर गए अब जनप्रतिनिधि पांच वर्ष के परिणाम में सिर्फ अगले पांच वर्ष का आश्वासन दे रहे हैं।
राज्यमंत्री ने किया खुद के गांव का विकास
शहर के लोगों से अगर सीमा विस्तार और नगर निगम के प्रस्ताव को लेकर बात करें तो लोग कहते हैं नगर विकास विभाग के राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता बनाए गए डेढ़ वर्ष से अधिक समय तक रहे। उन्होंने अपनी जन्मस्थली गांव दहगवां को तो नगर पंचायत का दर्जा दिला दिया लेकिन बदायूं शहर का सीमा विस्तार प्रस्ताव तक पास नहीं करा पाए। उन्होंने केवल अपने गांव का विकास कराया।
इन गांव को किया जाना था शामिल
शहर के गांव खेड़ा नवादाए खेड़ा बुजुर्गए आलमपुरए चंदन नगर खरैरए सालारपुरए पड़ौलियाए शिकरापुरए भगवतीपुरए नगला घेरए दहेमीए बदरपुरए गुराईए नौशेराए शेखूपुरए लौंड़ा बेहड़ीए मीरा सरायए मौजमपुर नेहनगरए मौजमपुर छज्जूए चुंगी बाहरए नगला शर्कीए मझियाए लखनपुरए सोवरनपुरए आमगांवए पड़ौआए नरऊ खुर्द सहित गांव नगर पालिका में शामिल किए जाने थे।
नगर निगम का भी टूटा था सपना
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई थी इसके बाद निकाय चुनाव संपन्न हुआ। विधायक और चेयरमैन भाजपा के थे। उस समय अधिकारियों से प्रयास कराकर वर्ष 2019 में नगर पालिका को नगर निगम बनाने के लिए भेजा गया। जिसमें बदायूं के साथ.साथ आसपास के यह गांव और उझानी को शामिल करते हुए प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन शासन ने उसको इसलिए खारिज कर दिया कि बदायूं और उझानी के बीच काफी ज्यादा दूरी थी।
क्या कहती हैं चेयरमैन
नगर पालिका चेयरमैन दीपमाला गोयल का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद से अब तक प्रयास लगातार किया कि नगर पालिका सीमा विस्तार हो या फिर नगर निगम बनाया जाए। पहला प्रस्ताव हमने नगर निगम का भेजा था जो शासन ने खारिज कर दिया था दूसरी बार सीमा विस्तार का भेजा जो बिना बोर्ड मीटिंग पास हुए गया इसलिए खारिज हो गया। तीसरा प्रस्ताव कुछ महीने पहले भेजा था जो डीएम से स्वीकृत होकर कमिश्नर तक पहुंच गया। आगे प्रक्रिया जारी है।
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