उत्तर प्रदेश, ब्योरो रिपोर्ट। गरीब और अमीर यह सब किस्मत का खेल है, गरीब अमीर बन जाता है और गांव झोपड़ी में रहने वाला विदेशों तक महल बनाता है। ऐसा ही कुछ शायद राजू और साहिबा की जिंदगी में कुदरत ने लिखा था, जो आज हकीकत में बदल गया। जन्म देने वाली मां ने राजू और साहिबा को लावारिस सड़क पर छोड़ दिया। कुछ दिन पुलिस सहारा बनी, फिर बालगृह आ गए। यहां का स्टाफ माता-पिता बना इसके बाद अब इटली के दंपत्ति जीवनभर के लिए माता-पिता बन गये हैं। सरकारी प्रक्रिया के तहत गोद लेकर बच्चों को इटली ले गये हैं।
उत्तर प्रदेश जनपद के बदायूं शहर के मोहल्ला कृष्णापुरी स्थित बालगृह शिशु में लावारिस भाई-बहन राजू (उम्र 6 वर्ष) तथा साहिबा (उम्र 7 वर्ष) का कारा के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेट बदायूं के दत्तक ग्रहण के आदेश पर इटली के दंपत्ति को सौंप दिया गया है। इटली से आए दंपती फ्रैंको बेकआती व एंजेला मांजी ने राजू और साहिबा का दत्तक ग्रहण किया। बताया कि फ्रैंको बेकआती व एंजेला मांजी इटली में सियाना शहर के रहने वाले हैं। इन दोनों सगे भाई बहन को गोद लिया है और प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद अपने साथ ले गये हैं। बतादें कि यह दोनों बच्चे लावारिस रूप में पिछले पांच वर्ष से यहां रह रहे थे, मुजफ्फरनगर में लावारिस मिले थे। इटली के दंपत्ति भी बच्चों से मिलकर काफी खुश हुये, राजू व साहिबा को इटली जाते देख बालग्रह का स्टाफ काफी भाव विभोर हुआ। बालगृह परिवार की ओर से बच्चों को गिफ्ट भी दिए गए और उनके उज्जवल भविष्य की मंगल कामना की गई। बच्चों को रोली अक्षत से तिलक कर इटली से आए दंपत्ति के साथ विदा किया गया। बालगृह संचालक ने बताया कि इटली की दंपत्ति के कोई बच्चा नहीं है उन्होंने पांच वर्ष पहले कारा की साइड पर आवेदन किया था, जिसके बाद यह बच्चे मिले और फिर प्रक्रिया पूर्ण होने में पांच वर्ष लग गये।
इटली भाषा में रखे जाएंगे नाम
बालगृह से राजू और साहिबा इटली दंपत्ति के साथ पूरी प्रक्रिया के बाद चले गये हैं। इटली से आए दंपती फ्रैंको बेकआती व एंजेला मांजी ने बताया कि वह इटली जाने के बाद वहां सामाजिक कार्यक्रम करेंगे जिसके बाद बच्चों का नाम करण इटली के हिसाब से करेंगे। उन्होंने बताया कि उनके कोई बच्चा नहीं हैं वह एक बड़े बिजनेसमैन हैं। बच्चों से वह बहुत प्रेम करते हैं काफी प्रयास के बाद उन्हें बच्चा मिले हैं।
परचून की दुकान पर छोड़ गई मां
राजू और साहिबा छोटे बच्चे हैं इतने ज्यादा समझदार नहीं हैं लेकिन उनकी जिंदगी में आज आज एक बड़ा बदलाव हुआ है। उनको जन्म देने वाली मां उस वक्त छोड़ गई जब राजू एक वर्ष और साहिबा दो वर्ष की थी। पुलिस और प्रशासन को यह दोनों बच्चे मुजफ्फर नगर सिटी में एक परचून की दुकान के बाहर मिले थे। दुकानदार ने पुलिस को सूचना दी थी कि कोई महिला यहां बच्चों को छोड़कर चली गई है। काफी तलाश करने के बाद भी बच्चों के माता पिता नहीं मिले थे।
सेंटर स्टाफ ने पांच वर्ष तक की सेवा
राजू और साहिबा आज इटली के निवासी हो गए और उनके माता पिता भी इटली के हो गए। राजू और साहिबा ज्यादा बड़ी नहीं हैं राजू छह वर्ष का है तो साहिबा सात वर्ष की है। दोनों बच्चे एक साथ मुजफ्फरनगर में पुलिस को मिले थे। वर्ष 2019 में मुजफ्फर नगर पुलिस और प्रशासन ने लावारिस के रूप में दोनों बच्चों को बाल कल्याण समिति के तहत बालगृह शिशु में लाया गया।
पोसपोर्ट से विदेश गये भाई-बहन
लावारिस बच्चे जब दत्तगृह में आए इसके बाद उनको कारा बेवसाइट पर अपडेट कराया गया। इसके बाद डीएम द्वारा उनका मेडिकल परीक्षण के उपरांत जन्म प्रमाण पत्र बनाया गया। इसके बाद जब इन दोनों बच्चों के लिए इटली के दंपत्ति ने आवेदन किया और सभी प्रक्रिया पूर्ण हुईं तो फिर दोनों बच्चों का पासपोर्ट भी बनवाया गया। जिससे वह विदेश जा सकें।
बालगृह संचालक की सुनिये
बालगृह संचालक अनूप सक्सेना ने बताया कि सगे भाई-बहन मुजफ्फर नगर से लावारिस में मिलने के बाद आये थे। बाल कल्याण समिति लाई थी दोनों बच्चे अब प्रक्रिया पूर्ण होने पर इटली दंपत्ति को गोद दिये गये हैं। विदेश जा रहे हैं इसलिए कारा के नियम एवं बाल विकास मंत्रालय तथा गृहमंत्रालय की सभी प्रक्रिया पूर्ण होने पर डीएम के आदेश पर बच्चे दिये गये हैं।
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